अब किसकी सरकार


प्रियंका ध्यानी
भारत की राजनीति में दो पार्टियों भाजपा और कांग्रेस का डंगा बजता है. देश में सिर्फ यही दो पार्टियां हैं जिनका देश में बोलबाला है.

एक-दूसरे की खिंचाई करने मे दोनों एक से बढ़ कर एक है. जहां कांग्रेस मोदी को पीएम बनने से पहले ही पीएम मानकर उन को ताना मारती है वहीं भाजपा के निशाने पर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी रहते हैं.

इन सब के बीच फंसी रहती है जनता... जिनके भरण-पोषण का जिम्मा सरकार उठाने का वादा तो करती है पर अचानक
ही इनके स्मरण-पट्टी से यह बात उड़ जाती है.

अब उत्तराखंड आपदा को ही देख लीजिए...

गांव के गांव डूब गए... पर मजाल जो सरकार पहले ही दिन मदद
के लिए पहुंच जाए. लोग अपने दर्द का रोना रोते रहे पर इनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी.

यहां आबादी कम क्या होने लगी सरकार के तोते ही उड़ गए कि इसी जनता की बदौलत तो हम चुनाव जीतते हैं. 2014 में आने वाले चुनाव में अगर एक की भी संख्या कम पड़ी तो 5 साल भारी पड़ सकता है. तब दोनों पार्टियों के धुरंधर मैदान में उतरे.

इस भारी आपदा में भी इन्होंने अपने स्वार्थ को प्राथमिकता दी. नेता लोग आपस में लड़ते दिखाई दिए. इन्हें जनता से कोई लेना-देना नहीं था, ये सिर्फ एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं. ये वहां लोगों की मदद करने नहीं सियासी रणनीति करने गए.

जहां कांग्रेस ने मोदी का पत्ता काटने के लिए जाल बिछाया तो वहीं भाजपा ने राहुल की गैरमौजूदगी का फायदा उठाया. शर्म आती है ऐसी सरकार पर जिनके लिए जनता बिक जाती है और पूरे पांच साल बरबाद करती है.

जिस राज्य में यह हाहाकार मचा उस राज्य के सीएम को पहले ही दिन वहां मौजूद होना चाहिए था पर वे इससे दूर रहे. जब उन्हें लगा कि अब मामला गंभीर होता जा रहा है तब उन्होंने लोगों की सुध लेने की कोशिश की.

वैसे ये बात तो सच है जब भी कोई अनहोनी होती है तो विपक्षी पार्टी दिलचस्पी जरूर दिखाती हैं. फिर जो पार्टी सत्ता में होती है उसे अपनी गद्दी बचाने के लिए काफी कुछ करना पड़ता है.

चलो इसी बहाने पीड़ितों का भला तो हो जाता है. पर सोचने की बात यह है कि सरकार का यह दिखावा क्या लोगों का विश्वास जीत पाता है? सरकार की इस तू-तू मैं-मैं में जनता यह फैसला नहीं कर पाती की कौन सी सरकार बेहतर है?
कौन दिखावा कर रही है और कौन सच्चे दिल से काम कर रहा है?

उत्तराखडं आपदा में कुछ अलग ही देखने को मिला. लोगों का गुस्सा फूट-फूट कर बाहर आ रहा था. उन्हें सरकार की असल तस्वीर व नीयत नजर आ रही थी. सरकार जो दावा कर रही है कि हमने इतने रुपये और इतनी सुविधाएं भिजवाई हैं वो असल में मिल किसको रही है?

अब भी क्यों इतने लोग वहां फंसे हुए हैं? सरकार का फर्ज है जनता का देखभाल करना. तो वह इस फर्ज से भाग क्यों रही है?

भाजपा नहीं, कांग्रेस नहीं तो अब फिर किसकी सरकार?

-प्रियंका ध्यानी

 

No comments: