महिलाओं के साथ बढ़ते अपराध

आज के समय में महिलाएं खुद को कहीं भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं. खासतौर पर बड़े शहरों का हाल तो और भी ज्यादा चिंताजनक है.

सोलह दिसम्बर को दिल्ली गैंगरेप के बाद हुए जोरदार आंदोलन और प्रदर्शन ने लोगों को झकझोर के रख दिया. इसके बाद सख्त कानून बनाने को लेकर चर्चाएं हुई. जिससे लगा कि अब देश में महिलाओं की स्थिति ठीक हो जाएगी. लेकिन हाल ही में मुंबई में एक महिला पत्रकार के साथ
जो कुछ हुआ उससे सारा देश सकते में आ गया.

महिला पत्रकार के साथ सामूहिक बलात्कार बताता है कि हम विचारों की आधुनिकता की चाहे जितनी भी बातें कर ले...लेकिन महिलाओं के प्रति पुरुषों का रवैया जस का तस है.

मेरा सवाल पूरे समाज से है कि जिस देश की महिलाओं को कभी सती, सावित्री का दर्जा दिया जाता था. वहां आज महिलाओं के साथ इस तरह के जघन्य अपराध रोज क्यों हो रहे हैं.

आखिर महिलाओं के प्रति लोगों का नजरिया इतना क्यों गिर रहा हैं? अपराध होने के बाद कुछ दिनों तक सरकारी महकमा, स्वायत्त संगठन, प्रशासन बेहतर सुरक्षा का वादा करते हैं. लेकिन कुछ दिनों तक मामला गर्म रहने के बाद ठंडे बस्ते में चला जाता है. कुछ समय तक इन अपराधों पर जोर-शोर से चर्चा होती हैं फिर वही सब होने लगता है.

स्त्री समाज का जीवन नारकीय हो रहा है इसका जिम्मेदार कौन हैं? ऐसे अपराधों में अपराधी से लेकर प्रशासन और समाज की मानसिकता सभी दोषी है, इसलिए हर स्तर पर प्रयास जरुरी है. 

देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐसा कानून बने, जिससे वह खुद को सुरक्षित महसूस कर सके…कठोर कानून बनाने और उसे लागू करने की अब बहुत जरूरत हैं, जिससे कि अपराधी ऐसा कुछ करने से पहले सौ बार उस सजा के बारे में सोचे.


-सुगंधा झा

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