मेरे शिक्षक

-प्रियंका ध्यानी
मानव विकास का पाठ पढ़ाकर, किया हमारे जीवन का उद्धार
समर्पित है अपना पूरा जीवन इनपर, मिलती है शिक्षा जिनसे.

बुराई हार जाए, अच्छाई हमेशा जीत दिलाए
जिंदगी भर यह शिक्षा है हमारे काम आए.

भले के लिए कभी थप्पड़
मारा, गलती में कभी कान खिंचा
कामयाब बन सके हम कल, इस तरह से है हमें सींचा.

आज नहीं तो कल, यह शिक्षा का कर्ज हमें चुकाना है
जीत तभी मिलेगी इन्हें, सफल इंसान जब हमने बन जाना है.

माँ के तरह लाड़ किया, पिता के जैसे हमें डांटा
रहो प्रेम से सबके साथ, यही ज्ञान है हमें बांटा.

मात-पिता से पहले, गुरु का है प्रथम स्थान
आज शिक्षक दिवस के मौके पर, करें सभी शिक्षकों का सम्मान.

-प्रियंका ध्यानी, माजरा

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