बहरा कर सकता है इयर फोन

आज कल राह चलते हुए सेल फोन में लगी लीड अथवा इयर फोन पर बात करना या उसपर तेज आवाज में गाना सुनते हुए चलना एक फैशन सा बनता जा रहा है.

लोग घरों से निकलते ही उस इयर फोन को कानों में लगा लेते हैं फिर चाहें वह किसी सवारी से चल रहे हों या पैदल, वह इससे आसपास के वातावरण से खुद को पूरी तरह से अलग कर खुद में
ही व्यस्त हो जाते हैं.

फिर उनके लिए यह भी मायने नहीं रखता के उनके साथ कोई और भी चल रहा है या नहीं, उनकी यह आदत शायद उनके लिए एक स्टाइल हो या खुदको
अलग दिखाने का तरीका, लेकिन समाज में यह बढ़ती आदत किसी बीमारी से कम नहीं है.

जो न केवल आप को समाज और आस-पास के लोगों से दूर करती है बल्कि कई बीमारियों और दुर्घटनाओं का कारण बनती है.

अक्सर जब लोग इस तरह कानों में इयरफोन लगा कर सड़क पर चलते हैं या सड़क पार करते हैं तो उन्हें पीछे से आनेवाले वाहन की ध्वनि सुनाई नही पड़ती और वह सड़क पार करने लगते हैं. जिसकी वजह से कई बार सड़क दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं.

इस तरह की सड़क दुर्घटनाओं में कई बार लोग न केवल घायल होते हैं बल्कि अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं. अपनी इस आदत की वजह से खुद तो अपनी जान से जाते ही हैं साथ ही उनके पीछे तड़पता रह जाता है पूरा परिवार.

देखा जाए तो इस तरह की दुर्घटनाओं का जिम्मेदार एक लापरवाही से ज्यादा और कुछ भी नहीं है. फिर भी न जाने क्यों लोग ऐसी आदतों के गुलाम बनते जा रहे हैं.

इयर फोन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना ना केवल घर से बाहर हीं हानिकारक है, बल्कि घर के अन्दर या वर्किंग प्लेस पर भी बहुत हानिकारक है. आज कल देखने में आता है कि लोग घर का काम कर रहें हों या ऑफिस में, उनके कानों में इयर फोन लगा होता है. 

कई बार गानों की आवाज इतनी ज्यादा होती है कि वो बाहर तक सुनाइ देती है, काम करते समय गाने सुनना भले हीं उनके काम को जल्दी और बिना किसी डिस्टरबेंस के खत्म करने में उनकी सहायता करता हो लेकिन यह आदत उनके कान और स्वास्थ्य के लिए कितनी हानिकारक है शायद वो यह नही जानते.

गाने सुनना या इयर फोन पर बात करने में कोई बुराइ नहीं लेकिन हद से ज्यादा और गलत तरीके से किसी भी चीज का इस्तेमाल हानिकारक हीं साबित होता है.

इयर फोन का हद से ज्यादा इस्तेमाल या उसे अपनी आदत बना लेना आप को हमेशा के लिये बहरा कर सकता है. इयर फोन की बर्डस आप के कानों के अंदर लगती हैं और कान के अंदर एक पतली सी झिल्ली होती है जिसे हम पर्दा कहते हैं. 

उस पर्दे पर जब कोई ध्वनि तरंगे पड़ती हैं तो वह हम शब्द के रूप में सुन पाते हैं. लेकिन कान के पर्दो पर पड़ने वाली तरंगो की एक ध्वनि सीमा होती है. अगर ध्वनि उस सीमा से बाहर हो जाए तो हमारे कान के पर्दे फट सकते हैं और हम उम्र भर के लिए बहरे भी हो सकते हैं.

इसी आदत की वजह से देखने में आया है की लोग वक्त से पहले अपनी सुनने की शक्ति खोने लगे हैं, कई बार तो काफी कम उम्र के बच्चे भी इस बीमारी का शिकार बन जाते हैं.

इयर फोन जैसी चीजें हमारी सुविधा के लिए बनाइ गई हैं ना कि मुश्किलें बढ़ाने के लिए.

शौक अगर आदत बन जाए तो उसे नशा बनते देर नही लगती और नशा कोई भी हो हानिकारक ही होता है, इसलिए किसी भी नशे से बचे और सुरक्षित रहें.

-आराधना वर्मा

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