प्यार की एक नई कहानी

मिताली आहूजा
“खवाब है रवां-रवां

फिज़ा भी है जवां जवां...

पुकारते हैं दूर से ये काफिले

बिखर गए हैं अरमान किसी के रवां में .......

सुन रहा हैं तू किसी कि सुनी सुनी यह दास्ताँ....!!!!!”

“यह कहानी दो अनजान-अनजानी आकाश और अलीशा की है जिनकी अपनी निजी जिंदगी बिलकुल अलग हैं लेकिन ऊपर वाले का वो प्यार का तीर शायद एक दूसरे को ही लगा.

जहाँ आकाश नए दौर की पीढ़ी, स्वतंत्र स्वभाव और सोच का हैं वंही दूसरी ओर अलीशा एक मॉस कम्युनिकेशन की छात्रा हैं जिसका स्वाभाव आकाश से थोड़ा
हटके हैं जिसे वो एक डिस्को में मिलता हैं और फिर शुरू होती हैं यह प्यार की दास्तान....”

चलिए अब बात करते हैं किताब कि और कहानी कि जो लेखक ने समझाना चाहा है अपने पाठकों को यह कि‘इट स्टार्टेड विद अ फ्रेंड रेकुवेस्ट’ एक प्यारी सी प्रेम कथा है और हम सब कि आम जिंदगी से जुडी हुई हैं. सुदीप ने इस पूरी कहानी को लिखते समय सरल भाषा का इस्तेमाल किया है जिसे पढ़ने के बाद आप यही कहेंगे वाह !! क्या खूब लिखा है सुदीप ने...

इस पूरी कहानी को लिखते समय सुदीप ने इसका पूरा-पूरा ख्याल रखा है कि पाठकों का पढते हुए बिलकुल भी ध्यान न भटके और सीधे और स्पष्ट रूप में पूरी कहानी बयान भी की ताकि पाठक को कहीं अभी और किसी भी तरह से ये न लगे कि वो अब अपनी दिलचस्पी कहीं खो रहा हैं पर शायद उनके पाठक उनसे जो अंग्रेजी के कुरकुरे और मजेदार आकाश-अलीशा के बीच हुए संवादों कि उम्मीद लगाये बेठा होगा वो इस बार फिर सुदीप की इस कहानी से निराश होगा... लेकिन गाड़ी फिर अपने ट्रैक पकडती है तमन्ना के कारण जो इस पूरी कहानी में एक बड़ा सवाल और यू-टर्न देती के साथ-साथ को फिर से उठाती है और शायद आकाश और अलीशा से ज्यादा दीप और तमन्ना के बीच जो कुछ भी होता हैं वो पढ़ने के बाद शायद आप अलीशा को थोड़ा कम पसंद करने लगे....

वो एक मोड़ तमन्ना और दीप के बीच हुआ वो रात का किस्सा शायद आप सभी पाठकों को खूब लुभाएगा...

सुदीप ने पूरी कहानी में उन सभी पल्लों को यादगार रखने के लिए आकाश और अलीशा के उन संदेशों का भी बखूबी इस्तेमाल किया ताकि उनके पढ़ने वाले उनकी कहानी को दिल से समझ सके लेकिन उनकी ये कोशिश शायद उलटी साबित हो, उससे पड़ने के बाद ऐसा लग रहा था कि हम किसी स्कूल में पढ़ने वाले दो बच्चों कि कहानी पढ़ रहे हो जिन्होंने शायद पहली बार प्यार को महसूस किया हो... लेकिन फिर भी कुछ नया सोचने की कोशिश...उसे हम सराहेंगे सुदीप...

एक चीज़ जो हम आम भारतीए लेखकों में देखते आये हैं कि वो हमेशा ‘हेप्पी एंडिंग’ देना पसंद करते हैं ताकि उनके पाठक अपनी निजी जिंदगी में भी कुछ ऐसा सोचे जो कि कहीं न कहीं अच्छी बात हैं लेकिन ये सिर्फ़ सुदीप से नही बल्कि और सभी पाठकों से हम दरख्वास्त करते हैं कि अगर आप किसी कि निजी जिंदगी पर कुछ लिखते हैं और लिखना पसंद करते तो कभी उन प्यार करने वाले हँसो पर भी नज़र डालिए जो समाज कि उलझनों वजह से या कोई और मुश्किलों के कारण बिछड़ गए जाते हैं...

फिलहाल मैं इस पूरी कहानी को पढ़ने के बाद 5 में से 3 रेटिंग दूंगी...!!!! और आप सभी से अनुरोध करुँगी कि एक बार इस किताब को पढिये और मुझे बताइए कि आपको ये किताब कैसी लगी... हमें आपके संदेशो का इन्तज़ार रहेगा.... आप मेरे ब्लॉग PRIME FOCUS पर अपने सन्देश डाल सकते हैं....

- मिताली आहूजा


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