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| अर्चना सिंह |
भारत के ग्रामीण इलाकों में उच्च निरक्षरता की दर को अनदेखा नहीं किया जा सकता है.
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे भी पढ़ना चाहते हैं लेकिन शिक्षा के संसाधनों की उचित व्यवस्था न होने के कारण ये पढ़ नहीं पाते.
इन बच्चों की आंखों में डॉक्टर, इंजीनियर बनने के सपने
होते है कि हम भी कल पढ़ लिख कर कुछ करेंगे.
लेकिन इन बच्चों की यह सोच सिर्फ सोच ही बन कर रह जाती है.
ये बच्चे कुछ करना चाहते है लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में कमी की वजह से अपने लक्ष्य से वंचित रह जाते हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर शिक्षक की कमी के साथ-साथ बेहतर शिक्षण संस्थान भी नहीं है. यहां शिक्षकों की कमी बच्चों के विकास में बांधा बनती जा रही है जिसकी वजह से हालात बद्दतर होते जा रहे हैं.
जब स्कूलों मे शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो ज्ञान का दीपक कौन जलायेगा ? ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे पांचवीं या आठवीं तक ही पढ़ कर आगे नही बढ़ पाते.
इसकी एक मुख्य वजह गरीबी भी है. शिक्षा बाल्टी भरने की चीज नहीं है, बल्कि आग के प्रकाश की तरह है जो हवा मिलने पर बढ़ती जाती है.
भारत सरकार ग्रामीण शिक्षा में विकास के लिये कई तरह के अभियान चला रही है लेकिन इसका पूरी तरह से संचालन नहीं हो पा रहा है.
इसलिये ग्रामीण क्षेत्रों तक ये सुचारू रूप से पहुंच नही पा रहा है. सरकार अगर ग्रामीण क्षेत्रों के साक्षरता में विकास पर ध्यान दे तो हर बच्चा पढ़ेगा और आगे बढ़ेगा. और इन बच्चों में से कोई अब्दुल कलाम बनकर देश का नाम रोशन करेगा.
क्योंकि ज्ञान वो शक्तिशाली हथियार है जिससे पूरी दुनिया बदली जा सकती है. न आपका ज्ञान आपसे कोई छीन सकता है न चोर इसे चुरा सकता है.
- अर्चना सिंह

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