केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महाराणा प्रताप संघर्ष, बलिदान, एवं त्याग के प्रतीक है. वे भारतीय साहित्य-संस्कृति न्यास, नई दिल्ली द्वारा आयोजित ऐतिहासिक उपन्यासकार शत्रुघ्न प्रसाद द्वारा रचित अरावली के मुक्त शिखर उपन्यास के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे. लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ.कमल किशोर गोयनका ने की.
केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि
देश की जनता, युवाओं को महाराणा प्रताप की वीर गाथा से ऐतिहासिक उपन्यासकार डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद ने परिचय कराया है. जब जब हमारी सांस्कृतिक एकता खंडित हुई है, तब तब उसे पुनः स्थापित करने के लिए वीर सपूत पैदा हुए. उनके क्षितिज पर महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी है. हिन्दी की सहजता और सरलता की परंपरा को उपन्यासकार शत्रुघ्न प्रसाद ने बनाए रखा है.
इस दौरान मंच पर भारतीय पुलिस सेवा राजस्थान केडर के अधिकारी पंकज चौधरी, वरिष्ठ नाट्य निर्देशक दयाप्रकाश सिन्हा, ऐतिहासिक उपन्यासकार शत्रुघ्न प्रसाद भी मौजूद थे. संचालन लेखक डॉ अरूण कुमार भगत ने किया. डॉ.अरूण कुमार भगत ने बताया कि यह उपन्यास राजस्थान के महाराणा प्रताप की शौर्य गाथा है, जो देश के युवाओं, जनता को मातृभूमि से प्रेम करने का संदेश देती है.
सांसद एवं वरिष्ठ पत्रकार प्रभात झा ने कहा कि ऐतिहासिक उपन्यासकार शत्रुघ्न प्रसाद ने अरावली के मुक्त शिखर उपन्यास के द्वारा असंभव को सभंव कर दिखाया है. उपन्यास का हर पृष्ठ कहता है कि पढ़ो और संदेश को जीवन में उतारो. अर्थ के अभाव में साहस का प्रभाव यह उपन्यास दर्शाता है. आर्थिक अभाव बढ़ते प्रभाव को नहीं रोक सकता है. प्रभात झा ने इस पुस्तक को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे को भेंट करने का केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से आग्रह किया.
दयाप्रकाश सिन्हा ने कहा कि जिस तरह नाटक का अंत प्रभावी होता है, उसी तरह इस उपन्यास का प्रांरभ बहुत प्रभावी है. मातृभूमि के प्रति प्रेम महाराणा प्रताप की इस वीर गाथा से नजर आता है. बलदेवभाई शर्मा ने कहा कि महाराणा प्रताप के स्मरण मात्र से हमारी धमनियों में रक्त दौड़ उठता है. हमें इतिहास की प्रयत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए. भारतीय पुलिस सेवा राजस्थान कैडर के पंकज चैधरी ने भी महाराणा प्रताप का जनता, मातृभूमि के प्रति प्रेम, राजस्थान के बारे में अवगत कराया.
पुस्तक के लेखक ऐतिहासिक उपन्यासकार डॉ. शत्रुघ्न प्रसाद ने कहा कि इस उपन्यास में प्रताप के संघर्ष के बारे में बताया गया है.साथ ही इसमें पहली बार जोधा बाई के पीड़ा को दर्शाया गया है. देश में अब तक महाराणा प्रताप पर फिल्म नहीं बन पायी है.
अध्यक्षता करते हुए डॉ. कमल किशोर गोयनका ने कहा कि साहित्य राजनीति के आगे चलकर पथ प्रदर्शक होना चाहिए.
मीडिया प्रभारी देवेश शर्मा ने बताया कि समारोह के प्रांरभ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर समारोह की शुरूआत की गई. महिमाश्री द्वारा केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, अशोक कुमार ज्योति द्वारा प्रभात झा, विश्व गौरव द्वारा ऐतिहासिक उपन्यासकार शत्रुध्न प्रसाद, कमल किशोर गोयनका, उर्मिला प्रसाद, कुणाल कुमार ने दयाप्रकाश सिन्हा, श्रीमती भारतीसिंह ने पंकज चैधरी का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया. स्वागत उद्बोधन ललिता चतुर्वेदी ने दिया. आभार एवं धन्यवाद अशोक कुमार ज्योति ने व्यक्त किया.
-महिमाश्री
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