क्या आप जब सुबह उठते हैं तो भी खुद को थका हुआ महसूस करते हैं? क्या सुबह की चाय के तुरंत बाद से ही आप पर तनाव हावी रहता है? क्या जब दफ्तर में या घर के लोग कुछ भी आपके खिलाफ कहते हैं तो तुरंत परेशान हो उठते हैं? अगर इन सवालों का जवाब हां है तो आपको एक बार ठहरकर खुद को देखने की जरूरत है.
पहली बात आपने ये कहावत सुनी
होगी- जैसा खाए अन्न- वैसा होवे मन. आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हम खान-पान पर ठीक से ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. सुबह कुछ भी नाश्ता करके या बिना नाश्ता किए घर से निकल जाते हैं- फिर दिन भर बाहर का बना भोजन खुद के शरीर में ठूंसते रहते हैं. कहने की जरूरत नहीं कि इसमें से ज्यादातर मात्रा फास्ट फूड की होती है. नतीजा ये होता है कि हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में जरूरी विटामिन नहीं मिल पाते हैं.
दूसरे शब्दों में हमें कभी-कभी ही संतुलित भोजन नसीब हो पाता है. ऐसे में जब आप अपने शरीर को जरूरी ऊर्जा के लिए भोजन ही नहीं देंगे तो ऊर्जावान कैसे बने रह पाएंगे आप. इसलिए सबसे पहले संतुलित भोजन को अपनी आदत में शामिल करें.
कोशिश करें कि घर का बना खाना खाएं- और बाहर खाना ही पड़े तो खाने की क्वालिटी को लेकर सावधान रहें. नाश्ते में ज्यादा से ज्यादा फल, जूस या दूध इत्यादि का सेवन करें.
अब बात आती है तनाव की- अक्सर लोग जब सुबह उठते हैं तो उन्हें याद आता है कि आज बहुत काम करना है- ये काम भी करना है- वो काम बाकी है- यानी लटके हुए कामों का पूरा पुलिंदा. अव्यवस्थित कामों का बोझ इतना अधिक होता है कि हमारा एक दिन और गुजर जाता है और स्थिति जस की तस. शाम को घर लौटकर याद आता है कि अरे वो जो सबसे जरूरी काम था- वो तो बचा ही रह गया.
आपको उसी समय याद आता है कि आज फलां फॉर्म भरने की आखिरी तारीख है- और आप फॉर्म भरने से ही चूक गए- यानी तनाव से आपको छुटकारा नहीं मिल पाता है. ऐसे में आप पहला काम ये करें कि सबसे जरूरी कामों की एक लिस्ट बनाएं- उसके बाद उससे थोड़ा कम जरूरी और तीसरी लिस्ट जिन्हें आप आगे कभी भी कर सकते हैं.
अब सबसे पहले सबसे जरूरी कामों को निपटाएं- फिर उसके बाद थोड़े कम जरूरी चीजों को और आखिर में जब समय बचे तो सबसे कम जरूरी कामों को खत्म करें. इस तरह जब आप सबसे जरूरी कार्यों को पहले ही खत्म कर चुके होंगे तो आपका तनाव जाता रहेगा. उसके बाद आप हल्के-फुल्के मन से कम खास चीजों को कर सकते हैं.
अगर संभव हो सके तो काम को करने का समय भी नोट कर लें- इससे आपका टाइम-टेबल यानी समय व्यवस्थित हो जाएगा. इस प्रक्रिया को अपनाने के बाद आप काफी हद तक कार्य संबंधी तनाव से बचे रहेंगे.
तीसरी सबसे बड़ी परेशानी जिससे लोग रू-ब-रू होते हैं वो है मानसिक परेशानी यानी चिड़चिड़ापन, गुस्सा, निराशा, ईर्ष्या, तनाव...यानी नकारात्मक मन: स्थिति. कुछ लोग कहते फिरेंगे कि मेरा तो वक्त ही खराब चल रहा है- मेरा कुछ नहीं हो सकता...इत्यादि.
यहां ये समझने की जरूरत है कि जीवन में सुख-दुख आते-जाते रहते हैं- ये धूप-छांव की तरह है. जिस तरह आप बिना धूप में झुलसे छांव के आनंद को नहीं महसूस कर सकते- उसी तरह बिना कष्ट झेले आप खुशियों को नहीं जी सकते. याद रखिए आपका जीवन एक सफर है- इस जीवन के सफर में तरह-तरह के मोड़ से आपको दो-चार होना पड़ेगा. आपको बस यात्रा का आनंद लेना है- सफर का लुत्फ उठाना है.
आज जैसा समय है- कल वैसा नहीं रहेगा. इस संसार में सब कुछ परिवर्तनशील है सिवाय परिवर्तन के. इसलिए जीवन में जो कुछ भी आए- उसे स्वीकार करें और साहस के साथ हर स्थिति-परिस्थिति का सामना करते हुए आगे बढ़े. अगर कोई व्यक्ति आपको लेकर नकारात्मक बातें करता रहता है तो उसकी कतई परवाह ना करें- बल्कि उसे चुनौती की तरह स्वीकार कर जीवन में आगे बढ़ें.
आप जब सफल होंगे तो जो लोग आपकी बुराई करते नहीं थकते थे- वही आपकी खुशामद करेंगे. साथ ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका एकमात्र काम दूसरों की कमियों की चर्चा करते रहना या फिर लोगों की बुराई करते रहना होता है. ऐसे लोग असफल किस्म के लोग होते हैं- इन्हें आप कभी बदल नहीं सकते. ऐसे लोगों से दूर ही रहें.
सबसे खास बात ये कि जीवन आपका है- आप जीवन में जो करना चाहते हैं खुलकर करें. खुद को हमेशा खुश रखें- आपको अपना ख्याल खुद रखना है. जब आप खुश रहेंगे तो एक से एक सफलता आपके कदम चूमेंगी. जीवन बड़ा ही कीमती है- अनमोल है- इसे सिर्फ और सिर्फ अपने अंदाज से जिएं.
-प्रिया पंवार
1 comment:
Thanks mam
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