मैं नहीं हम...

कीर्ति नंदन
वैसे तो छोटा शहर छोटा होता है. छोटे-छोटे कामों में लोग खुश रहते हैं. छोटी-छोटी बातों में भी लोग अपनी खुशियां खोज लेते हैं.

उनकी बातें अनोखी होती हैं. छोटे शहरों के लोगों की बातें बड़ी सीधी-सादी होती हैं... लेकिन उनकी सीधी-सादी बातों में कुछ ऐसी बात छुपी होती है जो बड़े शहरों की रफ्तार भरी जिंदगी में समझ में नहीं आती.

छोटे शहरों के लोग अपनी बातों से
बड़े शहरों के लोगों को एक सीधी सीख देते हैं कि मैं नहीं हम... हम की ताकत मैं से कहीं ऊपर है.

हम एक बंद मुट्ठी है... ताकत है... शक्ति है... तो क्यों ना हम मिल के काम करें अपने देश के लिए... हम की भावना से जोड़ें और कुछ नया सोचें...क्योंकि मैं नहीं हम एक हैं.

-कीर्ति नंदन