सारांश समय का लोकार्पण और काव्य गोष्ठी

महिमा श्री
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन केंद्र में २२ नवम्बर २०१४ को 'शब्द व्यंजना' और 'सन्निधि संगोष्ठी' के संयुक्त तत्वाधान में कविता-संग्रह 'सारांश समय का' के लोकार्पण और काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया.

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, मुख्य वक्ता अरुण कुमार भगत, अध्यक्षता प्रसून लतांत, विशिष्ट अतिथि रमणिका गुप्ता, धनंजय सिंह, अतुल प्रभाकर,  और कार्यक्रम का संचालन
महिमा श्री ने किया.

इस संयुक्त आयोजन में काफी संख्या में कविगण शामिल हुए. ढाई बजे से शाम सात बजे तक चला. 'सारांश समय का' संपादन ब्रिजेश नीरज और अरुण अनंत ने किया है. 

कविता संग्रह में अस्सी रचनाकारों की बेहतरीन अतुकांत कवितायेँ हैं जिसकी सराहना अतिथियों ने की. लक्ष्मी शंकर वाजपेयी ने कविताओं के चयन की भूरी–भूरी प्रशंसा की और कई रचनाकारों की कविताओं का सस्वर पाठ कर रचनाकारों को प्रोत्साहित किया.

उन्होंने कहा की १२५ करोड़ के देश में अगर ८० लाख भी अगर कवि हो जाये तो समाज बेहतर हो जाएगा, कविता अभी संकट में हैं, कई विधाएँ लुप्त हो रही है उन पर भी काम होना चाहिए.

वही अरुण कुमार भगत ने कविता अणु से अनंत की यात्रा है कविता की विशेषता और लिखने से पहले की रचनाकारों की घनीभूत संवेदनाओं के बारे में विस्तार से बात कही.
उन्होंने कहा कि कविता पाठक के सीधे ह्रदय तक पहुँचती है और हर पाठक अपनी तरह से उसकी अभिव्यंजना करता है. कविता के लिए पाठक तथ्य समाज से लेता है और स्वयं के साथ समाज को भी प्रभावित करता है. कविता में जो असर और क्षमता है वो किसी में नहीं है.

लोकार्पण के बाद काव्य गोष्ठी में कवि और कवियत्रियों ने उत्साह के साथ अपनी प्रस्तुति दी. मंच की उपलब्धि रही की हर विधा में रचना पढ़ी गयी. गीत, नवगीत, ग़ज़ल, घनाक्षरी, कुंडलिया, अतुकांत, सभी सुने और सुनाये गए.

-महिमा श्री

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