किस्सा कुर्सी का एक बार फिर

अगर आपको याद हो 'किस्सा कुर्सी का' जो एक बार फिर आपके बीच आ सकता है. इमरजेंसी के दौरान रिलीज हुई यह फिल्म इंदिरा गांधी के कार्यकाल और उनके तानाशाह रवैये पर कटाक्ष थी. 

उस समय सरकार पर इसके प्रिंट और निगेटिव जलाने के आरोप लगे थे और पूरे  देश में विरोध प्रदर्शन हुआ था. 
फिल्म के निर्माता और पूर्व सांसद अमृत नाहटा के बेटे राकेश नाहटा इस फिल्म को दोबारा दर्शकों के बीच
लाने की सोच रहें हैं और सब कुछ ठीक रहा तो जल्द हीं आपको
यह फिल्म बड़े पर्दे पर देखने को मिल सकती है.

राकेश नाहटा के मुताबिक सेंसर बोर्ड से फिल्म पास होने का मामला सुप्रीम कोर्ट में होने के बावजूद संजय गांधी
और तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल के निर्देश पर एक टीम ने छापा मारकर इस फिल्म के निगेटिव जला दिए. 

आरटीआई की एक रिपोर्ट में ये बात साबित हो चुकी है कि 1975 में रिलीज इस फिल्म के निगेटिव जलाए जा चुके हैं. 

हालांकि कई कट्स और एडिट के साथ किस्सा कुर्सी का पार्ट-2 रिलीज हुई लेकिन अमृत नाहटा ठीक से अपनी बात रख नहीं पाए. लेकिन अमृत नाहटा के देहांत के बाद उनके बेटे राकेश नाहटा ने मोदी सरकार से इस फिल्म के निगेटिव वापस दिए जाने या इसके आर्थिक क्षति की पूर्ति की गुहार लगाई है और ऐसा न होने पर वो सुप्रीम कोर्ट जाने का भी मन बना चुके हैं. 

अगर मौजुदा सरकार इनके इस आग्रह को स्वीकार कर लेती है तो राकेश नाहटा एक बार फिर 'किस्सा
कुर्सी का पार्ट-3 लेकर आना चाहते हैं. जिसमें इमरजेंसी के दौरान की ज्यादतियों और राजनीतिक भ्रष्टाचार के राज़ खुलने के दावे किए जा रहे हैं

-समीर कुमार ठाकुर

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